नई दिल्ली। पैंगोलिन एक ऐसा जानवर है जिसकी दुनिया में सबसे अधिक अवैध तस्करी होती है। इसके मांस को जहां चीन और वियतनाम समेत कुछ दूसरे देशों में बेहद चाव से खाया जाता है वहीं इसका उपयोग दवाओं के निर्माण में भी होता है। खासतौर पर चीन की पारंपरिक दवाओं के निर्माण में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है। बीते एक दशक के दौरान दस लाख से अधिक पैंगोलिन की तस्करी की जा चुकी है। यही वजह है कि ये दुनिया का सबसे अधिक तस्करी किए जाने वाला जानवर बन गया है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के मुताबिक दुनियाभर के वन्य जीवों की अवैध तस्करी में अकेले 20 फीसद का योगदान पैंगोलिन का ही है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चीन और वियतनाम में इसका मांस खाना अमीर होने की निशानी है।
हां तक चीन की बात है तो वहां पर कई जानवरों का मांस बाजार में आम बिकता है। कोरोना की मार झेल रहे चीन को लेकर बीते दिनों एक खबर ये भी आई थी इस वायरस के तेजी से फैलने के पीछे चमगादड़ है। चमगादड़ों का मांस भी वहां पर खाया जाता है। इसके अलावा इसका सूप पीने वाली एक महिला ब्लॉगर की एक वीडियो बीते दिनों काफी वायरल हुई थी। हालांकि ये वीडियो चीन में नहीं फिल्माई गई थी। लेकिन अब एक नया तथ्य सामने आ रहा है। इसमें कहा जा रहा है कि इस वायरस के फैलने के पीछे पैंगोलिन के मांस का सेवन है।
बसे बड़ी हैरानी की बात ये भी है कि इस जानवर से किसी कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। ये जानवर बेहद शर्मिला होता है और इंसानों की नजरों में आने से पहले ही भाग लेता है। पैंगोलिन अपना आशियाना ज्यादातर जमीन के नीचे बिल बनाकर या फिर सूखे और खोखले हो चुके पेड़ों में बनाता है। लेकिन पैसों के लालच में तस्कर इसकी जान को नहीं बख्शते हैं।
पैंगोलिन का अवैध व्यापार ज्यादातर एशिया में ही होता है। इसके अलावा अफ्रीका में भी इसका व्यापार होता है। पैंगोलिन की खाल से लेकर मांस तक की कीमत हजारों में होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी खाल की कीमत 24 हजार रुपये किलो तक है। ये केरोटिन की बनी होती है। यह खाल दूसरे जानवरों से बचाव में उसकी रक्षा भी करती है। पैंगोलिन ऐसे शल्कों वाला अकेला ज्ञात स्तनधारी है। इसे भारत में सल्लू साँप भी कहते हैं। पैंगोलिन नाम मलय शब्द पेंगुलिंग से आया है, जिसका अर्थ है जो रोल करता है।